बचपन की कहानियों की याद दिलाता है "शाम के साये"

आज के दौर में जीवन में बढ़ती व्यस्तता और बच्चों में "मोबाइल" नामक यंत्र का बढ़ता प्रभाव कहानियां के सुनने और सुनाने के अस्तित्व और ढंग को बदलता जा रहा है। मृदुला हालन द्वारा लिखी गयी किताब "शाम के साये" हमें हमारे बचपन के उस दौर की कहानियों में ले जाती है जो हम हमारी माँ या दादी माँ के गोद में सुनकर सो जाया करते थे। यह किताब कहानियों का संग्रह है जिसमें बारह अलग-अलग काल्पनिक कहानियां है।

यह किताब कहानियों का संग्रह है जिसमे हर कहानी के किस्से एक दूसरे से काफी अलग और रोमांचक है। यह लेखक की कल्पना पर आधारित है और हर एक कहानी में कुछ ऐसे पात्र है जिनके पास "अलौकिक शक्तियां " है चाहे वह एक राजा हो या दूसरे ग्रह का प्राणी हो। इस पुस्तक की कहानियों में हर किस्से और पात्र को इस तरह से गढ़ा गया है कि पढ़ते समय पाठक के अंदर "अब आगे क्या होगा" वाला रोमांच पैदा होगा। पाठक के तौर पर मुझे दो कहानियां अच्छी लगी जिसमें "शानी का चमत्कारी चाकू" और "झील का पानी" है। यह किस्से हमारे वर्तमान समाज के यथास्थिति को दर्शाती है जहाँ किस तरह अपने फायदे के लिए एक इंसान दूसरे से छल-कपट और जालसाजी करता है ।

मृदुला हालन द्वारा लिखी गयी यह किताब की लेखनीय और भाषा काफी स्पष्ट व सरल है। काल्पनिक और रोमांचक किस्सों से भरी हुई इस किताब को किसी भी उम्र का पाठक पढ़ सकता है। स्पष्ट शैली की वजह से पाठक इस किताब को बहुत ही कम समय में पढ़कर ख़त्म कर सकता है।

यह पुस्तक पेंगुइन इंडिया के द्वारा प्रकशित की गयी है। यह पुस्तक 122 पेजों की है और यह केवल 150 रुपयों में उपलब्ध है

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