आज से लगभग 100 साल पहले 1896 में ग्रीस के एथेंस में पहली बार मॉडर्न ओलिंपिक की शुरुआत हुई. ओलिंपिक एक ऐसा स्टेज बन चुका है जहां खिलाड़ियों को अपने प्रतिभा को पूरे विश्व के सामने दिखाने का मौका मिलता है. आज इस मल्टी-खेल टूर्नामेंट को 100 साल से ज्यादा हो चुके हैं और यहां अब सैकड़ों देश से आए खिलाड़ियों का पदक जीतकर अपने देश का नाम रौशन करने का सपना होता है.
आज 2024 है और ओलिंपिक में भारत की भी प्रतिभागिता बढ़ते जा रही है. 2020 तक भारत के पास कुल 35 ओलिंपिक पदक है जिसमें 10 स्वर्ण, 9 सिल्वर और 16 कांस्य है. लेकिन भारत ओलिंपिक में पहले मेडल जीतने का इतिहास अनोखा है जिसे एक ब्रिटिश मूल के खिलाड़ी ने जीता था.
स्वतंत्रता से पहले नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ने भारत को दिलाया था पहला पदक
साल 1896 में ग्रीस के एथेंस शहर में पहली बार मॉडर्न ओलिंपिक का आयोजन हुआ जिसमें भारत ने हिस्सा नहीं लिया. लेकिन 1900 में हुए ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक के दूसरे संस्करण में भारत के विजयगाथा की शुरुआत हुई. 1900 में पेरिस में ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक का आयोजन किया गया जिसमें भारत ने अपना पहला पदक जीता.
1875 में कोलकाता शहर में जन्में नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड पहले ऐसे ब्रिटिश-भारतीय थे जिन्होंने भारत के लिए 1900 ओलिंपिक में पदक जीता था. भारत की ओर से नॉरमन एकमात्र एथलीट थे जिन्होंने 200 मीटर की स्प्रिंट और 200 मीटर हर्डल इवेंट में दो सिल्वर मेडल जीते थे.
पदक जीतने के साथ नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ने एक और रिकॉर्ड भी अपने नाम किया. नॉरमन ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले एशियाई एथलीट भी बने.
1952 में स्वतंत्रता के बाद मिला पहला व्यक्तिगत पदक
साल 1947 में ब्रिटिश सरकार से आजादी के बाद भारत को अपना पहला व्यक्तिगत ओलिंपिक पदक मिला. 1952 में हेलसिंकी में ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक का आयोजन किया गया. इसमें खशाबा दादासाहेब जाधव ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी बने जिसने आजादी के बाद भारत के लिए पहला व्यक्तिगत मेडल जीता. इसके साथ-साथ केडी जाधव एक ऐसे ओलिंपिक पदक धारक है जिन्हें अबतक पद्मश्री नहीं मिला है.
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