क्रिकेट में हम अकसर सुनते हैं कि बारिश की वजह से मैच रद्द हो गया है ,लेकिन "खतरनाक व जानलेवा" पिच की वजह से मैच रद्द होना यह खबर काफी कम ही सुनने को मिलती है। ऐसा ही किस्सा 14 साल पहले भारतीय सरजमीं पर हुआ जब 27 दिसंबर 2009 को भारत और श्रीलंका के बीच खेले जा रहे मैच में पिच खिलाड़ियों के लिए जानलेवा साबित हुई और मैच को बीच में ही रद्द कर दिया गया।
भारत दौरे पर आई श्रीलंका की टीम अपने एक दिवसीय सीरीज का 5वां (आखिरी) मुकाबला दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान (अब अरुण जेटली) में खेल रही थी। मैच शुरू होने से पहले ही पिच का निरक्षण करते हुए सुनील गावस्कर ने कहा था कि यह पिच ऐसी दिख रही है जैसे इसपर बालों को ट्रांसप्लांट किया हो। टॉस जीतकर भारत ने श्रीलंका को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया। पहली बॉल गिरते ही पिच ने अपना रवैया दिखाना शुरू कर दिया था। पिच पर घास वाली जगह गेंद टप्पा खाकर असमान उछाल ले रही थी और बाकि जगह निचे ही रह रही थी।
असमान उछाल के कारण श्रीलंका के बल्लेबाज जयसूर्या व दिलशान को हथेली और कोहनी में गंभीर चोट लगी। आश्चर्य तो तब हुआ जब भारत की तरफ से डेब्यू कर रहे बॉलर सुदीप त्यागी की एक बॉल गुड लेंथ से अचानक उछलकर बल्लेबाज और विकेटकीपर के उप्पर से निकलकर बाउंड्री पार हो गयी। यह देखकर पवेलियन से श्रीलंका के कप्तान संगकारा ने दोनों बल्लेबाज़ों को इशारा कर फील्ड अंपायर से बात करने को कहा।
इसके बाद खेल रुक गया और दोनों टीम के कप्तान (धोनी-संगकारा), फील्ड अंपायर (मराइस इरेस्मस-शवीर तारापोर), मैच रेफरी (एलन हर्स्ट) और पिच क्यूरेटर ने आपसी सहमति के बाद पिच को "असमान उछाल और जानलेवा" का हवाला देते हुए मैच को रद्द करने का फैसला लिया। हालांकि इस मैच को दूसरे पिच पर खेलने का सुझाव भी दिया गया , लेकिन मैच रेफरी ने उसे ख़ारिज कर दिया। मैच रद्द होने तक श्रीलंका ने 23.3 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 83 रन बना लिए थे।
BCCI ने कारवाई करते हुए पिच और मैदान समिति को बर्खास्त कर दिया और इसके अध्यक्ष दलजीत सिंह जो इस पिच बनाने में शामिल थे उन्हें निष्कासित कर गया। इसके बाद DDCA के पिच पैनल जिसमें विजय बहादुर मिश्रा, चेतन चौहान और सुनील देव ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। DDCA ने मैदान में आये हुए सभी दर्शकों को उनके टिकट के पैसे भी वापस कर दिया।
श्रीलंका के बल्लेबाज महेला जयवर्धने ने CricInfo पर बताया था कि इस पिच पर उछाल असमान था और यह बल्लेबाजी के लिए काफी खतरनाक हो जाता है जब गेंद 135-140 kmph की रफ्तार से उसकी तरफ आ रही हो। जयवर्धने ने कहा कि यह अच्छा है कि श्रीलंका में ज्यादातर बाएं हाथ के बल्लेबाज है नहीं तो दाएं हाथ के बल्लेबाज को गेंद उछलकर सीधे सर और छाती पर लगती।
कोटला की पिच पर ICC ने पहले ही दी थी चेतावनी
श्रीलंका के भारत दौरे से पहले ही 4 नवम्बर 2009 को ICC ने कोटला की पिच को लेकर दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) को आगाह किया था। 2011 विश्वकप के लिए मैदान का निरीक्षण करने आयी ICC की टीम ने पहले ही कह दिया था कि 27 दिसंबर को होने जा रहे भारत और श्रीलंका मैच के लिए पिच पर काफी सुधार की जरूरत है। कोटला की पिच पर पहले भी भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया सीरीज और चैंपियंस लीग हुई थी जिसमें यह पिच खिलाड़ियों के खेलते के अनुकूल नहीं थी।
कोटला पर 2011 विश्वकप की मेजबानी का खतरा था
उस वक्त भारत में 2011 विश्वकप होना था जिसमें दिल्ली के फ़िरोज़ शाह कोटला मैदान को 4 मैचों की मेजबानी मिली थी, लेकिन 27 दिसंबर को हुए भारत और श्रीलंका मैच के पिच विवाद ने कोटला पर विश्वकप की मेजबानी पर सवाल खड़े कर दिए थे। ICC को मैच पर रिपोर्ट सौंपते हुए मैच रेफरी एलन हर्स्ट ने कहा था कि कोटला में भारत और श्रीलंका मैच में इस्तेमाल किया गया पिच "अनफिट" श्रेणी में आता है। इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए ICC अध्यक्ष डेव रिचर्डसन और मुख्य रेफ़री रंजन मदुगले ने कोटला मैदान को 1 साल के लिए कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच कराने पर रोक लगा दिया। साथ ही यह भी साफ़ कर दिया था कि कोटला पर विश्वकप की मेजबानी का कोई खतरा नहीं है।
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